मध्यप्रदेश

जन समुदाय को लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव हेतु एडवायजरी

जन समुदाय को लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव हेतु एडवायजरी

 

कलेक्टर ने नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील

 

भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी मौसमी दृष्टिकोण के अनुसार माह अप्रैल-मई 2025 में तापमान औसत से अधिक होने की संभावना है। इसके कारण लू (तापघात) की स्थिति निर्मित हो सकती है।

कलेक्टर श्री संजीव श्रीवास्तव ने जिले में बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव हेतु जिले के नागरिकों से अपील करते हुए बचाव के लिए आवश्यक सुझाव दिए हैं कि जन समुदाय को लू (तापघात) के प्रकोप से प्रभाव, लक्षण एवं प्राथमिक उपचार के लिए दिशा निर्देशानुसार सूर्य दाह ताप के कारण शारीरिक ऐठन (Heat Cramp) लक्षण त्वचा पर लाल चकता, सूजन, फफोले, बुखार, सिरदर्द आदि पैरों, पेट की मांसपेसियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफदेह ऐंठन, अत्यधिक पसीना आना जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसके लिए प्राथमिक उपचार है कि प्रभावित को बार-बार नहलाए, यदि फफोले निकल आए हों तो स्टरलाइज/ ड्रेसिंग करें, चिकित्सक का परामर्श लें। प्रभावित को छायादार स्थल पर तत्काल ले जाएं, ऐंठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाएं तथा धीरे- धीरे सहलाएं। प्रभावित को शीतल जल, छांछ अथवा पना पिलाएं। यदि उबकाई आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा तत्काल नजदीकी चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं।

 

लू (तापघात) के प्रकोप से प्रभाव अत्यधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव(Heat Exhaustion) ताप-दाह (Heat Stroke) अत्यधिक पसीना आना, होना महसूस कमजोरी शरीर ठंडा होना तथा पीला पड़ जाना, सिर दर्द, नब्ज कमजोर पड़ जाना, मूर्छित हो जाना, उल्टी आना, अत्यधिक बुखार, अत्यधिक गर्म एवं सूखी त्वचा, तेज नब्ज बेहोशी हो सकती है। प्रभावित व्यक्ति को पसीना नहीं आएगा। इन सभी के लिए प्राथमिक उपचार के लिए प्रभावित को छायादार स्थल पर लिटा कर शरीर पर ठंडा एव गीले कपड़े से स्पंजिंग करें, संभव हो तो उन्हें वातानुकूलित कमरे में ले जाएं। प्रभावित को शीतल जल, छांछ अथवा पना पिलाएं। उनके शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें। यदि उबकाई आ रही हो, तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा प्रभावित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाएं।

 

लू (तापघात) से बचाव के लिए सावधानियां

 

पानी, छांछ, ओ.आर.एस. का घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी, आम का पना इत्यादि का सेवन कर तरो-ताजा रहें। यथा संभव दोपहर 12 से 03 बजे धूप में बाहर निकलने से बचें। धूप में निकलते समय अपना सिर ढ़ंककर रखें। कपड़े, टोपी अथवा छतरी का उपयोग करें। धूप में निकलने के पूर्व तरल पदार्थ का सेवन करें। पानी हमेशा साथ रखें। शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें। सूती, ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहनें। सिंथेटिक एवं गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें। अत्यधिक गर्मी होने की स्थिति में ठंडे पानी से शरीर को पोंछे या कई बार स्नान करें। धूप तथा गर्म हवाओं के संपर्क के तुरंत बाद स्नान न करें। गरिष्ठ, वसायुक्त, ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन तथा अल्कोहल, चाय, काफी जैसे पेय पदार्थ का उपयोग कम से कम करें।

 

पशुओं को लू (तापघात) से बचाव के लिए सावधानियां

 

पशुओं को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए पर्याप्त, स्वच्छ और ठंडा पानी दें। उनसे सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच काम न लें। शेड की छत को पुआल से ढ़ंक दें, तापमान कम करने के लिए इसे सफेद रंग/चूने से रंग दें या गोबर से लीप दें। शेड में पंखे और वाटर स्प्रे का प्रयोग करें। अत्यधिक गर्मी के दौरान, पानी का छिड़काव करें और मवेशियों को ठंडा करने के लिए एक जल निकाय पर ले जाएं। उन्हें हरी घास, प्रोटीन वसा बाईपास पूरक, खनिज मिश्रण और नमक दें। कम गर्मी वाले समय के दौरान उन्हें चरने दें।

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